ज व त च ज क वर ग करण क आवश यकत क य ह ?

ज व त च ज क वर ग करण क आवश यकत क य ह ?
Anonim

उत तर:

यह स गठन क स थ और प र ण य क एक तरह स सम ह बन न म मदद करत ह ज हम अत व य प प रव त त य और व षमत ओ क द खन क अन मत द त ह ।

स पष ट करण:

यद आप प र ण य क एक स थ वर ग क त करत ह त आप क स न क स र प म उनक ब च सम नत क उम म द करत ह । यह समय क स थ स भ व त व क सव द पर वर तन क पर कल पन करन म मदद कर सकत ह । यद आप क स प र ण क मछल य क सम ह क स थ वर ग क त करत ह, त आप अन म न लग सकत ह क समय क स थ उस प रक र क मछल य म क स पर वर तन ह ए। यद व स तव म ज व क तरह वह मछल एक स प ज थ, त आप इस ब र म कट त कर सकत ह क एक अलग सम ह म व श षत ए ज स मछल क स द ख ई द त ह । हम आस न स स म न य व श वल बन म श र र क अन क लन म स ब ध क र प म बदल सकत ह ।

हम वर ग क त सम ह क र झ न क भ पहच न सकत ह और इसक उपय ग व ल प त ह च क प र ण य क नए ज व क ब र म पर कल पन करन क ल ए कर सकत ह । हम उन च ज क द खत ह ज सम ह म स म न य ह, य एक ह सम ह क ज व न क स व चलन क य ह ।

यह इसल ए भ मदद करत ह क जब अ तरर ष ट र य स तर पर प र ण य क चर च करत ह, त हम सभ क यह ज नन क ल ए एक म नक क त तर क ह त ह क हम क स ब र म ब त कर रह ह ।